Madhu Arora

Add To collaction

अनोखी दोस्ती

  #15 सीरीज
प्रतियोगिता हेतु
अनोखी दोस्ती भाग(1)
पता नहीं क्यों काजल आज फिर गुमसुम सी हो गई कुछ ही क्षण में कुर्सी पर बैठे बैठे काजल अतीत में खो गई। उसके सामने अतीत के पन्ने चलचित्र की तरह चलने लगे।
सेठ रायचंद की हवेली दुल्हन की तरह सजी हुई थी, चारों तरफ लाइट फूल मालाएं फुव्वारे और अनेक प्रकार की सजाने की सामग्री से सजी हुई इतनी खूबसूरत लग रही थी कि कोई भी वहांँ से निकलता तो एक नजर देखने के लिए ठहर जाता ।
सजे भी क्यों ना आज उनकी लाडली बेटी पीहू की शादी होने जा रही थी। सब अपने-अपने काम में लग हुए थे ।बारात की आवभगत की तैयारी हो रही थी। चारों तरफ नाचने गाना चल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे खुशियों ने आज वहां डेरा डाल रखा है हर कोई व्यक्ति बहुत खुश था। सेठ रायचंद हर एक को काम बताते हुए इधर से उधर तेजी से घूम रहे थे ।वह बोले जाओ वेडिंग प्लानर से कहो कि फूल मालाओं की व्यवस्था दरवाजे पर तैयार रखें।
मालिक आप परेशान ना  हो ।सब कुछ समय पर हो रहा है।
परेशान कैसे ना हो मेरी इकलौती लाडली बेटी पीहू की शादी है।कोई कमी नहीं रहनी चाहिए शादी में ।
बेटी की शादी में वह दिल खोलकर पैसा खर्च कर रहे थे।
 बारात दरवाजे पर आने ही वाली थी ।अचानक तभी सेठ रायचंद की पत्नी रीमा देवी कुछ घबराई सी अपने पति के पास आई, और धीरे से उनका हाथ पकड़ कर एक और ले गई। दोनों पति पत्नी भागते भागते सीधे पीहू के कमरे में पहुंचे देखा तो वहांँ पीहू नहीं थी।
 लड़के के माता-पिता और बहन ने दरवाजे से ही सेठ जी और उनकी पत्नी को देखा
   सेठ रायचंद और उनकी पत्नी परेशान क्यों लग रहे हैं। नंदनी बोली हां मां कुछ तो गड़बड़ है नहीं तो दरवाजे पर आने की जगह वह भागते हुए अंदर की ओर क्यों चले जाते हैं।
दोनों पति-पत्नी के होश उड़ गए बारात दरवाजे पर खड़ी है और वह आवभगत ना करके गुमसुम से शांत हो गए।वहांँ एक अलग ही परेशानी आ गई थी । वह इधर-उधर अपनी बेटी पीहू को खोज रहे थे।
तभी उनकी नजर पीहू के लिखें एक पत्र पर जाती है।
पीहू ने लिखा था।
 मेरे प्यारे मम्मी-पापा मैं यह शादी बिल्कुल नहीं करना चाहती थी मैं तो पराग से प्यार करती हूं । यह बात मैंने तुम्हें बहुत बार बताई पर आप नहीं माने। मैंने आपको कितनी बार कहा था कि मैं पराग के अलावा किसी और से शादी नहीं करूंगी पर आपने मेरी बात नहीं मानी इसीलिए मुझे पराग के साथ भागना पड़ रहा है।
 और मैं उसी के साथ जा रही हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना ?
 आपकी बेटी पीहू।
अब ऐसे समय पर वह करें तो क्या करें।
दोनों नीचे आए, और विनय के मम्मी पापा को एक तरफ बुलाया और उन्हें सारी परिस्थिति से अवगत कराया
वह बोले नहीं नहीं आपके दरवाजे से बारात खाली नहीं जाएगी हां आपने बारात का आवभगत नहीं किया हम आपसे नाराज हैं।
आपके परिवार में कोई भी शादी लायक लड़की हो हम उससे विनय की शादी करने को तैयार हैं।
सेठ रायचंद ने अपने परिवार में जितने भी लड़कियां थी उनके मां बाप से बात करी लेकिन कोई भी इस हालात में शादी करने को तैयार नहीं था, सबने मना कर दिया
तभी सेठ रायचंद की नजर पीहू की बचपन की सहेली कोयल पर पड़ती है कोयल बहुत अच्छे स्वभाव की पढ़ी लिखी लड़की थी। उसके पिता कैंसर के मरीज थे मां बचपन में ही गुजर गई थी गरीबी की हालत में पढ़ी-लिखी कोयल का रंग थोड़ा दबा हुआ था,नैन नैक्श तीखे थे, पढ़ने में काफी होशियार थी।
सेठ रायचंद कोयल से बोले बेटा मैं तुमसे आज कुछ मांँगना चाहता हूं और उन्होंने सारी बात कोयल को बता दी कहा कि हम तुम्हारे पिताजी का इलाज अच्छे  अस्पताल में करवा देंगे लोग काफी अच्छे हैं तुम्हें एक अच्छा घर परिवार मिल जाएगा और तुम खुश रहोगी।
कोयल यह सब बात सुनकर कुछ क्षण सोच कर शादी के लिए तैयार हो गई ,अब उसकी शादी विनय से हो गई।
अगली सुबह कोयल आंखों में अपनी सुनहरी जिंदगी के सपने लिए ससुराल पहुंची। लेकिन जल्दी उसका भ्रम टूट गया उसको पता लग गया कि विनय के माता-पिता बहुत लालची और उसकी शक्ल सूरत से बिल्कुल प्यार नहीं करने वाले थे। आने के थोड़ी देर बाद ही विनय की मां रेखा देवी हाथ में नचाते हुए आई बोली महारानी साहिबा बैठी रहोगी उठो हमें तो इतनी बदसूरत लड़की से अपने विनय की शादी नहीं करनी थी पता नहीं तुम ही हमारे हिस्से आई हो। उसे तो शादी के बाद तनिक भी ससुराल वालों से लाड प्यार नहीं मिला धीरे-धीरे उसकी सास ने काम का पूरा बोझ डाल दिया जरा सी गलती होने पर कभी उसकी सास कभी उसकी नंद कभी ससुर चीखते । 
एक दिन उसके ससुर रमेश बोले कोयल कोई काम ढंग से नहीं करती हो जरा मन लगाकर काम किया करो रेखा देवी बोली महारानी को आता ही क्या है ना शक्ल की ना सूरत की !
हम क्या इस को बैठाकर खिलाने के लिए लाए हैं हमने तो वह सेठ रायचंद की बात रखने के लिए विनय की शादी को हांँ कर दिया मैं तो विनय के लिए राजकुमारी सी लड़की की कमी थी क्या?
विनय का व्यवहार तो उसके लिए सास ससुर भी से भी बदतर था विनय तो मानो उसको देखना ही पसंद नहीं करता था
विनय चीखते हुए बोला *क्यों आई हो मेरे कमरे में
चली जाओ यहां से मुझे तुम्हारी सूरत नहीं देखनी है ।जब से आई हो मेरे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है"।
विनय अपने पापा रमेश से बोलता है" पापा मैं बहुत परेशान हूं मेरी नौकरी के लिए नोटिस आया है वह मुझे नौकरी से निकाल रहे हैं"।
रमेश बेटा कोई बात नहीं तुम तो होनहार हो तुम्हें दूसरी नौकरी आसानी से मिल जाएगी इतने दूसरी नौकरी नहीं मिलती मेरी तो पेंशन आ ही रही है तुम बिल्कुल परेशान ना हो पेंशन से घर चल जाएगा।
लेकिन रमेश के चेहरे पर परेशानी की लकीरे साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसकी पेंशन में गुजारा नहीं होने वाला था अभी अभी शादी का खर्चा भी हुआ था।
सबने मिलकर सारा दोष कोयल के ऊपर मढ दिया।
वह जो भी काम करती उसमें सब दोष निकालते रहते हैं
एक दिन उसकी नंद नंदिनी ने कहां भाभी मेरा सूट प्रेस कर दो कोयल बोली तुम भी तो खुद कर सकती हो अपने कपड़े प्रेस।
इतने में रेखा देवी बोलती हुई आई मेरी बेटी क्यों करेगी कपड़े प्रेस तू किस लिए आई है तू क्या सिर्फ रोटी खाएगी चल मेरी बेटी का सूट प्रेस कर।
कोयल मन में सोचती रहती क्या यही मेरी तकदीर है
कोई बात नहीं एक न एक दिन इन्हें इनकी गलती का एकएहसास करा कर रहूंगी की रंग ही सब कुछ नहीं होता
संस्कार भी कोई चीज होते हैं।
ओर बस यही सोच कर वह सब बातें बर्दाश्त कर जाती है।
आगे देखें कोयल क्या करती है या यही सब बर्दाश्त करती रहेगी या विनय उसे प्यार करेगा क्या होगा उसकी जिंदगी में        

   यह सब जानने के लिए पढ़िए आगे का भाग दो और मुझे अपनी प्रतिक्रया जरूर दें ताकि मैं आगे का भाग लिखने के लिए प्रोत्साहित हो सकूंँ।
                        रचनाकार ✍️
  



   15
3 Comments

वानी

25-May-2023 10:56 AM

Nice

Reply

Alka jain

24-May-2023 07:41 AM

बहुत खूब

Reply

Varsha_Upadhyay

24-May-2023 07:06 AM

👏👌

Reply